20مَن كانَ يُريدُ حَرثَ الآخِرَةِ نَزِد لَهُ في حَرثِهِ ۖ وَمَن كانَ يُريدُ حَرثَ الدُّنيا نُؤتِهِ مِنها وَما لَهُ فِي الآخِرَةِ مِن نَصيبٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजो कोई आख़िरत की खेती चाहता है, हम उसके लिए उसकी खेती में बढ़ोत्तरी प्रदान करेंगे और जो कोई दुनिया की खेती चाहता है, हम उसमें से उसे कुछ दे देते है, किन्तु आख़िरत में उसका कोई हिस्सा नहीं