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Sura 42
Aya 13
13
۞ شَرَعَ لَكُم مِنَ الدّينِ ما وَصّىٰ بِهِ نوحًا وَالَّذي أَوحَينا إِلَيكَ وَما وَصَّينا بِهِ إِبراهيمَ وَموسىٰ وَعيسىٰ ۖ أَن أَقيمُوا الدّينَ وَلا تَتَفَرَّقوا فيهِ ۚ كَبُرَ عَلَى المُشرِكينَ ما تَدعوهُم إِلَيهِ ۚ اللَّهُ يَجتَبي إِلَيهِ مَن يَشاءُ وَيَهدي إِلَيهِ مَن يُنيبُ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

उसने तुम्हारे लिए दीन का वही रास्ता मुक़र्रर किया जिस (पर चलने का) नूह को हुक्म दिया था और (ऐ रसूल) उसी की हमने तुम्हारे पास वही भेजी है और उसी का इब्राहीम और मूसा और ईसा को भी हुक्म दिया था (वह) ये (है कि) दीन को क़ायम रखना और उसमें तफ़रक़ा न डालना जिस दीन की तरफ तुम मुशरेकीन को बुलाते हो वह उन पर बहुत शाक़ ग़ुज़रता है ख़ुदा जिसको चाहता है अपनी बारगाह का बरगुज़ीदा कर लेता है और जो उसकी तरफ रूजू करे (अपनी तरफ़ (पहुँचने) का रास्ता दिखा देता है