51وَإِذا أَنعَمنا عَلَى الإِنسانِ أَعرَضَ وَنَأىٰ بِجانِبِهِ وَإِذا مَسَّهُ الشَّرُّ فَذو دُعاءٍ عَريضٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजब हम मनुष्य पर अनुकम्पा करते है तो वह ध्यान में नहीं लाता और अपना पहलू फेर लेता है। किन्तु जब उसे तकलीफ़ छू जाती है, तो वह लम्बी-चौड़ी प्रार्थनाएँ करने लगता है