40إِنَّ الَّذينَ يُلحِدونَ في آياتِنا لا يَخفَونَ عَلَينا ۗ أَفَمَن يُلقىٰ فِي النّارِ خَيرٌ أَم مَن يَأتي آمِنًا يَومَ القِيامَةِ ۚ اعمَلوا ما شِئتُم ۖ إِنَّهُ بِما تَعمَلونَ بَصيرٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीजो लोग हमारी आयतों में हेर फेर पैदा करते हैं वह हरगिज़ हमसे पोशीदा नहीं हैं भला जो शख्स दोज़ख़ में डाला जाएगा वह बेहतर है या वह शख्स जो क़यामत के दिन बेख़ौफ व ख़तर आएगा (ख़ैर) जो चाहो सो करो (मगर) जो कुछ तुम करते हो वह (ख़ुदा) उसको देख रहा है