31نَحنُ أَولِياؤُكُم فِي الحَياةِ الدُّنيا وَفِي الآخِرَةِ ۖ وَلَكُم فيها ما تَشتَهي أَنفُسُكُم وَلَكُم فيها ما تَدَّعونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीहम दुनिया की ज़िन्दगी में तुम्हारे दोस्त थे और आखेरत में भी तुम्हारे (रफ़ीक़) हैं और जिस चीज़ का भी तुम्हार जी चाहे बेहिश्त में तुम्हारे वास्ते मौजूद है और जो चीज़ तलब करोगे वहाँ तुम्हारे लिए (हाज़िर) होगी