16فَأَرسَلنا عَلَيهِم ريحًا صَرصَرًا في أَيّامٍ نَحِساتٍ لِنُذيقَهُم عَذابَ الخِزيِ فِي الحَياةِ الدُّنيا ۖ وَلَعَذابُ الآخِرَةِ أَخزىٰ ۖ وَهُم لا يُنصَرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअन्ततः हमने कुछ अशुभ दिनों में उनपर एक शीत-झंझावात चलाई, ताकि हम उन्हें सांसारिक जीवन में अपमान और रुसवाई की यातना का मज़ा चखा दें। और आख़िरत की यातना तो इससे कहीं बढ़कर रुसवा करनेवाली है। और उनको कोई सहायता भी न मिल सकेगी