75ذٰلِكُم بِما كُنتُم تَفرَحونَ فِي الأَرضِ بِغَيرِ الحَقِّ وَبِما كُنتُم تَمرَحونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(कि कुछ समझ में न आएगा) ये उसकी सज़ा है कि तुम दुनिया में नाहक (बात पर) निहाल थे और इसकी सज़ा है कि तुम इतराया करते थे