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Sura 40
Aya 67
67
هُوَ الَّذي خَلَقَكُم مِن تُرابٍ ثُمَّ مِن نُطفَةٍ ثُمَّ مِن عَلَقَةٍ ثُمَّ يُخرِجُكُم طِفلًا ثُمَّ لِتَبلُغوا أَشُدَّكُم ثُمَّ لِتَكونوا شُيوخًا ۚ وَمِنكُم مَن يُتَوَفّىٰ مِن قَبلُ ۖ وَلِتَبلُغوا أَجَلًا مُسَمًّى وَلَعَلَّكُم تَعقِلونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वही है जिसने तुम्हें मिट्टी से पैदा, फिर वीर्य से, फिर रक्त के लोथड़े से; फिर वह तुम्हें एक बच्चे के रूप में निकालता है, फिर (तुम्हें बढ़ाता है) ताकि अपनी प्रौढ़ता को प्राप्ति हो, फिर मुहलत देता है कि तुम बुढापे को पहुँचो - यद्यपि तुममें से कोई इससे पहले भी उठा लिया जाता है - और यह इसलिए करता है कि तुम एक नियत अवधि तक पहुँच जाओ और ऐसा इसलिए है कि तुम समझो