39يا قَومِ إِنَّما هٰذِهِ الحَياةُ الدُّنيا مَتاعٌ وَإِنَّ الآخِرَةَ هِيَ دارُ القَرارِफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह सांसारिक जीवन तो बस अस्थायी उपभोग है। निश्चय ही स्थायी रूप से ठहरनेका घर तो आख़िरत ही है