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Sura 4
Aya 95
95
لا يَستَوِي القاعِدونَ مِنَ المُؤمِنينَ غَيرُ أُولِي الضَّرَرِ وَالمُجاهِدونَ في سَبيلِ اللَّهِ بِأَموالِهِم وَأَنفُسِهِم ۚ فَضَّلَ اللَّهُ المُجاهِدينَ بِأَموالِهِم وَأَنفُسِهِم عَلَى القاعِدينَ دَرَجَةً ۚ وَكُلًّا وَعَدَ اللَّهُ الحُسنىٰ ۚ وَفَضَّلَ اللَّهُ المُجاهِدينَ عَلَى القاعِدينَ أَجرًا عَظيمًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

माज़ूर लोगों के सिवा जेहाद से मुंह छिपा के घर में बैठने वाले और ख़ुदा की राह में अपने जान व माल से जिहाद करने वाले हरगिज़ बराबर नहीं हो सकते (बल्कि) अपने जान व माल से जिहाद करने वालों को घर बैठे रहने वालें पर ख़ुदा ने दरजे के एतबार से बड़ी फ़ज़ीलत दी है (अगरचे) ख़ुदा ने सब ईमानदारों से (ख्वाह जिहाद करें या न करें) भलाई का वायदा कर लिया है मगर ग़ाज़ियों को खाना नशीनों पर अज़ीम सवाब के एतबार से ख़ुदा ने बड़ी फ़ज़ीलत दी है