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Sura 4
Aya 89
89
وَدّوا لَو تَكفُرونَ كَما كَفَروا فَتَكونونَ سَواءً ۖ فَلا تَتَّخِذوا مِنهُم أَولِياءَ حَتّىٰ يُهاجِروا في سَبيلِ اللَّهِ ۚ فَإِن تَوَلَّوا فَخُذوهُم وَاقتُلوهُم حَيثُ وَجَدتُموهُم ۖ وَلا تَتَّخِذوا مِنهُم وَلِيًّا وَلا نَصيرًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे तो चाहते है कि जिस प्रकार वे स्वयं अधर्मी है, उसी प्रकार तुम भी अधर्मी बनकर उन जैसे हो जाओ; तो तुम उनमें से अपने मित्र न बनाओ, जब तक कि वे अल्लाह के मार्ग में घरबार न छोड़े। फिर यदि वे इससे पीठ फेरें तो उन्हें पकड़ो, और उन्हें क़त्ल करो जहाँ कही भी उन्हें पाओ - तो उनमें से किसी को न अपना मित्र बनाना और न सहायक -