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Sura 4
Aya 83
83
وَإِذا جاءَهُم أَمرٌ مِنَ الأَمنِ أَوِ الخَوفِ أَذاعوا بِهِ ۖ وَلَو رَدّوهُ إِلَى الرَّسولِ وَإِلىٰ أُولِي الأَمرِ مِنهُم لَعَلِمَهُ الَّذينَ يَستَنبِطونَهُ مِنهُم ۗ وَلَولا فَضلُ اللَّهِ عَلَيكُم وَرَحمَتُهُ لَاتَّبَعتُمُ الشَّيطانَ إِلّا قَليلًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जब उनके पास निश्चिन्तता या भय की कोई बात पहुचती है तो उसे फैला देते है, हालाँकि अगर वे उसे रसूल और अपने समुदाय के उतरदायी व्यक्तियों तक पहुँचाते तो उसे वे लोग जान लेते जो उनमें उसकी जाँच कर सकते है। और यदि तुमपर अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी दयालुता न होती, तो थोड़े लोगों के सिवा तुम सब शैतान के पीछे चलने लग जाते