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Sura 4
Aya 78
78
أَينَما تَكونوا يُدرِككُمُ المَوتُ وَلَو كُنتُم في بُروجٍ مُشَيَّدَةٍ ۗ وَإِن تُصِبهُم حَسَنَةٌ يَقولوا هٰذِهِ مِن عِندِ اللَّهِ ۖ وَإِن تُصِبهُم سَيِّئَةٌ يَقولوا هٰذِهِ مِن عِندِكَ ۚ قُل كُلٌّ مِن عِندِ اللَّهِ ۖ فَمالِ هٰؤُلاءِ القَومِ لا يَكادونَ يَفقَهونَ حَديثًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

"तुम जहाँ कहीं भी होंगे, मृत्यु तो तुम्हें आकर रहेगी; चाहे तुम मज़बूत बुर्जों (क़िलों) में ही (क्यों न) हो।" यदि उन्हें कोई अच्छी हालत पेश आती है तो कहते है, "यह तो अल्लाह के पास से है।" परन्तु यदि उन्हें कोई बुरी हालत पेश आती है तो कहते है, "यह तुम्हारे कारण है।" कह दो, "हरेक चीज़ अल्लाह के पास से है।" आख़िर इन लोगों को क्या हो गया कि ये ऐसे नहीं लगते कि कोई बात समझ सकें?