66وَلَو أَنّا كَتَبنا عَلَيهِم أَنِ اقتُلوا أَنفُسَكُم أَوِ اخرُجوا مِن دِيارِكُم ما فَعَلوهُ إِلّا قَليلٌ مِنهُم ۖ وَلَو أَنَّهُم فَعَلوا ما يوعَظونَ بِهِ لَكانَ خَيرًا لَهُم وَأَشَدَّ تَثبيتًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर यदि कहीं हमने उन्हें आदेश दिया होता कि "अपनों को क़त्ल करो या अपने घरों से निकल जाओ।" तो उनमें से थोड़े ही ऐसा करते। हालाँकि जो नसीहत उन्हें दी जाती है, अगर वे उसे व्यवहार में लाते तो यह बात उनके लिए अच्छी होती और ज़्यादा ज़माव पैदा करनेवाली होती