62فَكَيفَ إِذا أَصابَتهُم مُصيبَةٌ بِما قَدَّمَت أَيديهِم ثُمَّ جاءوكَ يَحلِفونَ بِاللَّهِ إِن أَرَدنا إِلّا إِحسانًا وَتَوفيقًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदफिर कैसी बात होगी कि जब उनकी अपनी करतूतों के कारण उनपर बड़ी मुसीबत आ पडेगी। फिर वे तुम्हारे पास अल्लाह की क़समें खाते हुए आते है कि हम तो केवल भलाई और बनाव चाहते थे?