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Sura 4
Aya 62
62
فَكَيفَ إِذا أَصابَتهُم مُصيبَةٌ بِما قَدَّمَت أَيديهِم ثُمَّ جاءوكَ يَحلِفونَ بِاللَّهِ إِن أَرَدنا إِلّا إِحسانًا وَتَوفيقًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर कैसी बात होगी कि जब उनकी अपनी करतूतों के कारण उनपर बड़ी मुसीबत आ पडेगी। फिर वे तुम्हारे पास अल्लाह की क़समें खाते हुए आते है कि हम तो केवल भलाई और बनाव चाहते थे?