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Sura 4
Aya 6
6
وَابتَلُوا اليَتامىٰ حَتّىٰ إِذا بَلَغُوا النِّكاحَ فَإِن آنَستُم مِنهُم رُشدًا فَادفَعوا إِلَيهِم أَموالَهُم ۖ وَلا تَأكُلوها إِسرافًا وَبِدارًا أَن يَكبَروا ۚ وَمَن كانَ غَنِيًّا فَليَستَعفِف ۖ وَمَن كانَ فَقيرًا فَليَأكُل بِالمَعروفِ ۚ فَإِذا دَفَعتُم إِلَيهِم أَموالَهُم فَأَشهِدوا عَلَيهِم ۚ وَكَفىٰ بِاللَّهِ حَسيبًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और अनाथों को जाँचते रहो, यहाँ तक कि जब वे विवाह की अवस्था को पहुँच जाएँ, तो फिर यदि तुम देखो कि उनमें सूझ-बूझ आ गई है, तो उनके माल उन्हें सौंप दो, और इस भय से कि कहीं वे बड़े न हो जाएँ तुम उनके माल अनुचित रूप से उड़ाकर और जल्दी करके न खाओ। और जो धनवान हो, उसे तो (इस माल से) से बचना ही चाहिए। हाँ, जो निर्धन हो, वह उचित रीति से कुछ खा सकता है। फिर जब उनके माल उन्हें सौंपने लगो, तो उनकी मौजूदगी में गवाह बना लो। हिसाब लेने के लिए अल्लाह काफ़ी है