55فَمِنهُم مَن آمَنَ بِهِ وَمِنهُم مَن صَدَّ عَنهُ ۚ وَكَفىٰ بِجَهَنَّمَ سَعيرًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीफिर कुछ लोग तो इस (किताब) पर ईमान लाए और कुछ लोगों ने उससे इन्कार किया और इसकी सज़ा के लिए जहन्नुम की दहकती हुई आग काफ़ी है