55فَمِنهُم مَن آمَنَ بِهِ وَمِنهُم مَن صَدَّ عَنهُ ۚ وَكَفىٰ بِجَهَنَّمَ سَعيرًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदफिर उनमें से कोई उसपर ईमान लाया और उसमें से किसी ने किनारा खीच लिया। और (ऐसे लोगों के लिए) जहन्नम की भड़कती आग ही काफ़ी है