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Sura 4
Aya 49
49
أَلَم تَرَ إِلَى الَّذينَ يُزَكّونَ أَنفُسَهُم ۚ بَلِ اللَّهُ يُزَكّي مَن يَشاءُ وَلا يُظلَمونَ فَتيلًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के हाल पर नज़र नहीं की जो आप बड़े मुक़द्दस बनते हैं (मगर उससे क्या होता है) बल्कि ख़ुदा जिसे चाहता है मुक़द्दस बनाता है और ज़ुल्म तो किसी पर धागे के बराबर हो ही गा नहीं