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Sura 4
Aya 36
36
۞ وَاعبُدُوا اللَّهَ وَلا تُشرِكوا بِهِ شَيئًا ۖ وَبِالوالِدَينِ إِحسانًا وَبِذِي القُربىٰ وَاليَتامىٰ وَالمَساكينِ وَالجارِ ذِي القُربىٰ وَالجارِ الجُنُبِ وَالصّاحِبِ بِالجَنبِ وَابنِ السَّبيلِ وَما مَلَكَت أَيمانُكُم ۗ إِنَّ اللَّهَ لا يُحِبُّ مَن كانَ مُختالًا فَخورًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह की बन्दगी करो और उसके साथ किसी को साझी न बनाओ और अच्छा व्यवहार करो माँ-बाप के साथ, नातेदारों, अनाथों और मुहताजों के साथ, नातेदार पड़ोसियों के साथ और अपरिचित पड़ोसियों के साथ और साथ रहनेवाले व्यक्ति के साथ और मुसाफ़िर के साथ और उनके साथ भी जो तुम्हारे क़ब्ज़े में हों। अल्लाह ऐसे व्यक्ति को पसन्द नहीं करता, जो इतराता और डींगें मारता हो