29يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا لا تَأكُلوا أَموالَكُم بَينَكُم بِالباطِلِ إِلّا أَن تَكونَ تِجارَةً عَن تَراضٍ مِنكُم ۚ وَلا تَقتُلوا أَنفُسَكُم ۚ إِنَّ اللَّهَ كانَ بِكُم رَحيمًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐ ईमान लानेवालो! आपस में एक-दूसरे के माल ग़लत तरीक़े से न खाओ - यह और बात है कि तुम्हारी आपस में रज़ामन्दी से कोई सौदा हो - और न अपनों की हत्या करो। निस्संदेह अल्लाह तुमपर बहुत दयावान है