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Sura 4
Aya 153
153
يَسأَلُكَ أَهلُ الكِتابِ أَن تُنَزِّلَ عَلَيهِم كِتابًا مِنَ السَّماءِ ۚ فَقَد سَأَلوا موسىٰ أَكبَرَ مِن ذٰلِكَ فَقالوا أَرِنَا اللَّهَ جَهرَةً فَأَخَذَتهُمُ الصّاعِقَةُ بِظُلمِهِم ۚ ثُمَّ اتَّخَذُوا العِجلَ مِن بَعدِ ما جاءَتهُمُ البَيِّناتُ فَعَفَونا عَن ذٰلِكَ ۚ وَآتَينا موسىٰ سُلطانًا مُبينًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(ऐ रसूल) अहले किताब (यहूदी) जो तुमसे (ये) दरख्वास्त करते हैं कि तुम उनपर एक किताब आसमान से उतरवा दो (तुम उसका ख्याल न करो क्योंकि) ये लोग मूसा से तो इससे कहीं बढ़ (बढ़) के दरख्वास्त कर चुके हैं चुनान्चे कहने लगे कि हमें ख़ुदा को खुल्लम खुल्ला दिखा दो तब उनकी शरारत की वजह से बिजली ने ले डाला फिर (बावजूद के) उन लोगों के पास तौहीद की वाजैए और रौशन (दलीलें) आ चुकी थी उसके बाद भी उन लोगों ने बछड़े को (ख़ुदा) बना लिया फिर हमने उससे भी दरगुज़र किया और मूसा को हमने सरीही ग़लबा अता किया