139الَّذينَ يَتَّخِذونَ الكافِرينَ أَولِياءَ مِن دونِ المُؤمِنينَ ۚ أَيَبتَغونَ عِندَهُمُ العِزَّةَ فَإِنَّ العِزَّةَ لِلَّهِ جَميعًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजो ईमानवालों को छोड़कर इनकार करनेवालों को अपना मित्र बनाते है। क्या उन्हें उनके पास प्रतिष्ठा की तलाश है? प्रतिष्ठा तो सारी की सारी अल्लाह ही के लिए है