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Sura 4
Aya 135
135
۞ يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا كونوا قَوّامينَ بِالقِسطِ شُهَداءَ لِلَّهِ وَلَو عَلىٰ أَنفُسِكُم أَوِ الوالِدَينِ وَالأَقرَبينَ ۚ إِن يَكُن غَنِيًّا أَو فَقيرًا فَاللَّهُ أَولىٰ بِهِما ۖ فَلا تَتَّبِعُوا الهَوىٰ أَن تَعدِلوا ۚ وَإِن تَلووا أَو تُعرِضوا فَإِنَّ اللَّهَ كانَ بِما تَعمَلونَ خَبيرًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह के लिए गवाही देते हुए इनसाफ़ पर मज़बूती के साथ जमे रहो, चाहे वह स्वयं तुम्हारे अपने या माँ-बाप और नातेदारों के विरुद्ध ही क्यों न हो। कोई धनवान हो या निर्धन (जिसके विरुद्ध तुम्हें गवाही देनी पड़े) अल्लाह को उनसे (तुमसे कहीं बढ़कर) निकटता का सम्बन्ध है, तो तुम अपनी इच्छा के अनुपालन में न्याय से न हटो, क्योंकि यदि तुम हेर-फेर करोगे या कतराओगे, तो जो कुछ तुम करते हो अल्लाह को उसकी ख़बर रहेगी