132وَلِلَّهِ ما فِي السَّماواتِ وَما فِي الأَرضِ ۚ وَكَفىٰ بِاللَّهِ وَكيلًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीजो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज सब कुछ) ख़ास ख़ुदा ही का है और ख़ुदा तो कारसाज़ी के लिये काफ़ी है