وَيَستَفتونَكَ فِي النِّساءِ ۖ قُلِ اللَّهُ يُفتيكُم فيهِنَّ وَما يُتلىٰ عَلَيكُم فِي الكِتابِ في يَتامَى النِّساءِ اللّاتي لا تُؤتونَهُنَّ ما كُتِبَ لَهُنَّ وَتَرغَبونَ أَن تَنكِحوهُنَّ وَالمُستَضعَفينَ مِنَ الوِلدانِ وَأَن تَقوموا لِليَتامىٰ بِالقِسطِ ۚ وَما تَفعَلوا مِن خَيرٍ فَإِنَّ اللَّهَ كانَ بِهِ عَليمًا
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
(ऐ रसूल) ये लोग तुमसे (यतीम लड़कियों) से निकाह के बारे में फ़तवा तलब करते हैं तुम उनसे कह दो कि ख़ुदा तुम्हें उनसे (निकाह करने) की इजाज़त देता है और जो हुक्म मनाही का कुरान में तुम्हें (पहले) सुनाया जा चुका है वह हक़ीक़तन उन यतीम लड़कियों के वास्ते था जिन्हें तुम उनका मुअय्यन किया हुआ हक़ नहीं देते और चाहते हो (कि यूं ही) उनसे निकाह कर लो और उन कमज़ोर नातवॉ (कमजोर) बच्चों के बारे में हुक्म फ़रमाता है और (वो) ये है कि तुम यतीमों के हुक़ूक़ के बारे में इन्साफ पर क़ायम रहो और (यक़ीन रखो कि) जो कुछ तुम नेकी करोगे तो ख़ुदा ज़रूर वाक़िफ़कार है