116إِنَّ اللَّهَ لا يَغفِرُ أَن يُشرَكَ بِهِ وَيَغفِرُ ما دونَ ذٰلِكَ لِمَن يَشاءُ ۚ وَمَن يُشرِك بِاللَّهِ فَقَد ضَلَّ ضَلالًا بَعيدًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदनिस्संदेह अल्लाह इस चीज़ को क्षमा नहीं करेगा कि उसके साथ किसी को शामिल किया जाए। हाँ, इससे नीचे दर्जे के अपराध को, जिसके लिए चाहेगा, क्षमा कर देगा। जो अल्लाह के साथ किसी को साझी ठहराता है, तो वह भटककर बहुत दूर जा पड़ा