108يَستَخفونَ مِنَ النّاسِ وَلا يَستَخفونَ مِنَ اللَّهِ وَهُوَ مَعَهُم إِذ يُبَيِّتونَ ما لا يَرضىٰ مِنَ القَولِ ۚ وَكانَ اللَّهُ بِما يَعمَلونَ مُحيطًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीलोगों से तो अपनी शरारत छुपाते हैं और (ख़ुदा से नहीं छुपा सकते) हालॉकि वह तो उस वक्त भी उनके साथ साथ है जब वह लोग रातों को (बैठकर) उन बातों के मशवरे करते हैं जिनसे ख़ुदा राज़ी नहीं और ख़ुदा तो उनकी सब करतूतों को (इल्म के अहाते में) घेरे हुए है