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Sura 39
Aya 7
7
إِن تَكفُروا فَإِنَّ اللَّهَ غَنِيٌّ عَنكُم ۖ وَلا يَرضىٰ لِعِبادِهِ الكُفرَ ۖ وَإِن تَشكُروا يَرضَهُ لَكُم ۗ وَلا تَزِرُ وازِرَةٌ وِزرَ أُخرىٰ ۗ ثُمَّ إِلىٰ رَبِّكُم مَرجِعُكُم فَيُنَبِّئُكُم بِما كُنتُم تَعمَلونَ ۚ إِنَّهُ عَليمٌ بِذاتِ الصُّدورِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

अगर तुमने उसकी नाशुक्री की तो (याद रखो कि) खुदा तुमसे बिल्कुल बेपरवाह है और अपने बन्दों से कुफ्र और नाशुक्री को पसन्द नहीं करता और अगर तुम शुक्र करोगे तो वह उसको तुम्हारे वास्ते पसन्द करता है और (क़यामत में) कोई किसी (के गुनाह) का बोझ (अपनी गर्दन पर) नहीं उठाएगा फिर तुमको अपने परवरदिगार की तरफ लौटना है तो (दुनिया में) जो कुछ (भला बुरा) करते थे वह तुम्हें बता देगा वह यक़ीनन दिलों के राज़ (तक) से खूब वाक़िफ है