68وَنُفِخَ فِي الصّورِ فَصَعِقَ مَن فِي السَّماواتِ وَمَن فِي الأَرضِ إِلّا مَن شاءَ اللَّهُ ۖ ثُمَّ نُفِخَ فيهِ أُخرىٰ فَإِذا هُم قِيامٌ يَنظُرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर जब (पहली बार) सूर फँका जाएगा तो जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में हैं (मौत से) बेहोश होकर गिर पड़ेंगें) मगर (हाँ) जिस को ख़ुदा चाहे वह अलबत्ता बच जाएगा) फिर जब दोबारा सूर फूँका जाएगा तो फौरन सब के सब खड़े हो कर देखने लगेंगें