56أَن تَقولَ نَفسٌ يا حَسرَتا عَلىٰ ما فَرَّطتُ في جَنبِ اللَّهِ وَإِن كُنتُ لَمِنَ السّاخِرينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(कहीं ऐसा न हो कि) (तुममें से) कोई शख्स कहने लगे कि हाए अफ़सोस मेरी इस कोताही पर जो मैने ख़ुदा (की बारगाह) का तक़र्रुब हासिल करने में की और मैं तो बस उन बातों पर हँसता ही रहा