59هٰذا فَوجٌ مُقتَحِمٌ مَعَكُم ۖ لا مَرحَبًا بِهِم ۚ إِنَّهُم صالُو النّارِफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"यह एक भीड़ है जो तुम्हारे साथ घुसी चली आ रही है। कोई आवभगत उनके लिए नहीं। वे तो आग में पड़नेवाले है।"