44وَخُذ بِيَدِكَ ضِغثًا فَاضرِب بِهِ وَلا تَحنَث ۗ إِنّا وَجَدناهُ صابِرًا ۚ نِعمَ العَبدُ ۖ إِنَّهُ أَوّابٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"और अपने हाथ में तिनकों का एक मुट्ठा ले और उससे मार और अपनी क़सम न तोड़।" निश्चय ही हमने उसे धैर्यवान पाया, क्या ही अच्छा बन्दा! निस्संदेह वह बड़ा ही रुजू रहनेवाला था