57وَلَولا نِعمَةُ رَبّي لَكُنتُ مِنَ المُحضَرينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर अगर मेरे परवरदिगार का एहसान न होता तो मैं भी (इस वक्त) तेरी तरह जहन्नुम में गिरफ्तार किया गया होता