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Sura 36
Aya 40
40
لَا الشَّمسُ يَنبَغي لَها أَن تُدرِكَ القَمَرَ وَلَا اللَّيلُ سابِقُ النَّهارِ ۚ وَكُلٌّ في فَلَكٍ يَسبَحونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

न तो आफताब ही से ये बन पड़ता है कि वह माहताब को जा ले और न रात ही दिन से आगे बढ़ सकती है (चाँद, सूरज, सितारे) हर एक अपने-अपने आसमान (मदार) में चक्कर लगा रहें हैं