37وَآيَةٌ لَهُمُ اللَّيلُ نَسلَخُ مِنهُ النَّهارَ فَإِذا هُم مُظلِمونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर एक निशानी उनके लिए रात है। हम उसपर से दिन को खींच लेते है। फिर क्या देखते है कि वे अँधेरे में रह गए