29إِن كانَت إِلّا صَيحَةً واحِدَةً فَإِذا هُم خامِدونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदवह तो केवल एक प्रचंड चीत्कार थी। तो सहसा क्या देखते है कि वे बुझकर रह गए