35الَّذي أَحَلَّنا دارَ المُقامَةِ مِن فَضلِهِ لا يَمَسُّنا فيها نَصَبٌ وَلا يَمَسُّنا فيها لُغوبٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजिसने हमें अपने उदार अनुग्रह से रहने के ऐसे घर में उतारा जहाँ न हमें कोई मशक़्क़त उठानी पड़ती है और न हमें कोई थकान ही आती है।"