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Sura 35
Aya 32
32
ثُمَّ أَورَثنَا الكِتابَ الَّذينَ اصطَفَينا مِن عِبادِنا ۖ فَمِنهُم ظالِمٌ لِنَفسِهِ وَمِنهُم مُقتَصِدٌ وَمِنهُم سابِقٌ بِالخَيراتِ بِإِذنِ اللَّهِ ۚ ذٰلِكَ هُوَ الفَضلُ الكَبيرُ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर हमने इस किताब का उत्तराधिकारी उन लोगों को बनाया, जिन्हें हमने अपने बन्दो में से चुन लिया है। अब कोई तो उनमें से अपने आप पर ज़ुल्म करता है और कोई उनमें से मध्य श्रेणी का है और कोई उनमें से अल्लाह के कृपायोग से भलाइयों में अग्रसर है। यही है बड़ी श्रेष्ठता। -