2ما يَفتَحِ اللَّهُ لِلنّاسِ مِن رَحمَةٍ فَلا مُمسِكَ لَها ۖ وَما يُمسِك فَلا مُرسِلَ لَهُ مِن بَعدِهِ ۚ وَهُوَ العَزيزُ الحَكيمُफ़ारूक़ ख़ान & नदवीलोगों के वास्ते जब (अपनी) रहमत (के दरवाजे) ख़ोल दे तो कोई उसे जारी नहीं कर सकता और जिस चीज़ को रोक ले उसके बाद उसे कोई रोक नहीं सकता और वही हर चीज़ पर ग़ालिब और दाना व बीना हकीम है