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Sura 35
Aya 11
11
وَاللَّهُ خَلَقَكُم مِن تُرابٍ ثُمَّ مِن نُطفَةٍ ثُمَّ جَعَلَكُم أَزواجًا ۚ وَما تَحمِلُ مِن أُنثىٰ وَلا تَضَعُ إِلّا بِعِلمِهِ ۚ وَما يُعَمَّرُ مِن مُعَمَّرٍ وَلا يُنقَصُ مِن عُمُرِهِ إِلّا في كِتابٍ ۚ إِنَّ ذٰلِكَ عَلَى اللَّهِ يَسيرٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और खुदा ही ने तुम लोगों को (पहले पहल) मिट्टी से पैदा किया फिर नतफ़े से फिर तुमको जोड़ा (नर मादा) बनाया और बग़ैर उसके इल्म (इजाज़त) के न कोई औरत हमेला होती है और न जनती है और न किसी शख्स की उम्र में ज्यादती होती है और न किसी की उम्र से कमी की जाती है मगर वह किताब (लौहे महफूज़) में (ज़रूर) है बेशक ये बात खुदा पर बहुत ही आसान है