15لَقَد كانَ لِسَبَإٍ في مَسكَنِهِم آيَةٌ ۖ جَنَّتانِ عَن يَمينٍ وَشِمالٍ ۖ كُلوا مِن رِزقِ رَبِّكُم وَاشكُروا لَهُ ۚ بَلدَةٌ طَيِّبَةٌ وَرَبٌّ غَفورٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमदसबा के लिए उनके निवास-स्थान ही में एक निशानी थी - दाएँ और बाएँ दो बाग, "खाओ अपने रब की रोज़ी, और उसके प्रति आभार प्रकट करो। भूमि भी अच्छी-सी और रब भी क्षमाशील।"