13يَعمَلونَ لَهُ ما يَشاءُ مِن مَحاريبَ وَتَماثيلَ وَجِفانٍ كَالجَوابِ وَقُدورٍ راسِياتٍ ۚ اعمَلوا آلَ داوودَ شُكرًا ۚ وَقَليلٌ مِن عِبادِيَ الشَّكورُफ़ारूक़ ख़ान & अहमदवे उसके लिए बनाते, जो कुछ वह चाहता - बड़े-बड़े भवन, प्रतिमाएँ, बड़े हौज़ जैसे थाल और जमी रहनेवाली देगें - "ऐ दाऊद के लोगों! कर्म करो, कृतज्ञता दिखाने रूप में। मेरे बन्दों में कृतज्ञ थोड़े ही हैं।"