72إِنّا عَرَضنَا الأَمانَةَ عَلَى السَّماواتِ وَالأَرضِ وَالجِبالِ فَأَبَينَ أَن يَحمِلنَها وَأَشفَقنَ مِنها وَحَمَلَهَا الإِنسانُ ۖ إِنَّهُ كانَ ظَلومًا جَهولًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदहमने अमानत को आकाशों और धरती और पर्वतों के समक्ष प्रस्तुत किया, किन्तु उन्होंने उसके उठाने से इनकार कर दिया और उससे डर गए। लेकिन मनुष्य ने उसे उठा लिया। निश्चय ही वह बड़ी ज़ालिम, आवेश के वशीभूत हो जानेवाला है