You are here: Home » Chapter 33 » Verse 6 » Translation
Sura 33
Aya 6
6
النَّبِيُّ أَولىٰ بِالمُؤمِنينَ مِن أَنفُسِهِم ۖ وَأَزواجُهُ أُمَّهاتُهُم ۗ وَأُولُو الأَرحامِ بَعضُهُم أَولىٰ بِبَعضٍ في كِتابِ اللَّهِ مِنَ المُؤمِنينَ وَالمُهاجِرينَ إِلّا أَن تَفعَلوا إِلىٰ أَولِيائِكُم مَعروفًا ۚ كانَ ذٰلِكَ فِي الكِتابِ مَسطورًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

नबी तो मोमिनीन से खुद उनकी जानों से भी बढ़कर हक़ रखते हैं (क्योंकि वह गोया उम्मत के मेहरबान बाप हैं) और उनकी बीवियाँ (गोया) उनकी माएँ हैं और मोमिनीन व मुहाजिरीन में से (जो लोग बाहम) क़राबतदार हैं। किताबें खुदा की रूह से (ग़ैरों की निस्बत) एक दूसरे के (तर्के के) ज्यादा हक़दार हैं मगर (जब) तुम अपने दोस्तों के साथ सुलूक करना चाहो (तो दूसरी बात है) ये तो किताबे (खुदा) में लिखा हुआ (मौजूद) है