5يُدَبِّرُ الأَمرَ مِنَ السَّماءِ إِلَى الأَرضِ ثُمَّ يَعرُجُ إِلَيهِ في يَومٍ كانَ مِقدارُهُ أَلفَ سَنَةٍ مِمّا تَعُدّونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीआसमान से ज़मीन तक के हर अम्र का वही मुद्ब्बिर (व मुन्तज़िम) है फिर ये बन्दोबस्त उस दिन जिस की मिक़दार तुम्हारे शुमार से हज़ार बरस से होगी उसी की बारगाह में पेश होगा