30فَأَعرِض عَنهُم وَانتَظِر إِنَّهُم مُنتَظِرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीग़रज़ तुम उनकी बातों का ख्याल छोड़ दो और तुम मुन्तज़िर रहो (आख़िर) वह लोग भी तो इन्तज़ार कर रहे हैं