26أَوَلَم يَهدِ لَهُم كَم أَهلَكنا مِن قَبلِهِم مِنَ القُرونِ يَمشونَ في مَساكِنِهِم ۚ إِنَّ في ذٰلِكَ لَآياتٍ ۖ أَفَلا يَسمَعونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदक्या उनके लिए यह चीज़ भी मार्गदर्शक सिद्ध नहीं हुई कि उनसे पहले कितनी ही नस्लों को हम विनष्ट कर चुके है, जिनके रहने-बसने की जगहों में वे चलते-फिरते है? निस्संदेह इसमें बहुत-सी निशानियाँ है। फिर क्या वे सुनने नहीं?