17فَلا تَعلَمُ نَفسٌ ما أُخفِيَ لَهُم مِن قُرَّةِ أَعيُنٍ جَزاءً بِما كانوا يَعمَلونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीउन लोगों की कारगुज़ारियों के बदले में कैसी कैसी ऑंखों की ठन्डक उनके लिए ढकी छिपी रखी है उसको कोई शख़्श जानता ही नहीं