7وَإِذا تُتلىٰ عَلَيهِ آياتُنا وَلّىٰ مُستَكبِرًا كَأَن لَم يَسمَعها كَأَنَّ في أُذُنَيهِ وَقرًا ۖ فَبَشِّرهُ بِعَذابٍ أَليمٍफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो शेख़ी के मारे मुँह फेरकर (इस तरह) चल देता है गोया उसने इन आयतों को सुना ही नहीं जैसे उसके दोनो कानों में ठेठी है तो (ऐ रसूल) तुम उसको दर्दनाक अज़ाब की (अभी से) खुशख़बरी दे दे